अलवर





अलवर के उपनाम — राजस्थान का स्कॉटलैण्ड, राजस्थान का सिंह द्वार, साल्व प्रदेश, पूर्वी राजस्थान का कश्मीर, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR)

अलवर की मानचित्र के अनुसार स्थिति – 27°4′ से 28°4′ उत्तरी अक्षांश तथा 76°7′ से 77°13′ पूर्वी देशान्तर

अलवर का क्षेत्रफल → लगभग 8380 वर्ग किमी.

अलवर की तहसीलों की संख्या – 16

अलवर में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 11 हैं, जो निम्न है –

1. तिजारा                                  2. किशनगढ़ बास

3. मुण्डावर                                4. बहरोड़

5. बानसूर                                  6. थानागाजी

7. अलवर शहर                          8. अलवर ग्रामीण

9. रामगढ़                                  10. राजगढ़-लक्ष्मणगढ़

11. कठूमर

2011 की जनगणना के अनुसार, अलवर की जनसंख्या के आंकड़े –

कुल जनसंख्या—36,74,179                            पुरुष—19,39,026,

स्त्री—17,35,153                                            दशकीय वृद्धि दर—22.8%,

लिंगानुपात—895                                           जनसंख्या घनत्व—438,

साक्षरता दर—70.7%                                     पुरुष साक्षरता—83.7%,

महिला साक्षरता—56.3%

अलवर में कुल पशुधन –17,23,439 (LIVESTOCK CENSUS 2012)

अलवर का ऐतिहासिक विवरण→

अलवर की स्थापना—1770 ई. में प्रतापसिंह द्वारा की गई। अलवर प्राचीनकाल में मत्स्य जनपद का भाग था, जिसकी राजधानी विराटनगर थी।

स्वतन्त्रता के पश्चात् 18 मार्च, 1948 (एकीकरण का प्रथम चरण) को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली को मिलाकर ‘मत्स्य संघ’ की स्थापना हुई, बाद में 15 मई 1949 को मत्स्य संघ एवं वृहद राजस्थान (चतुर्थ चरण) को मिलाकर ‘संयुक्त वृहद् राजस्थान’ का निर्माण किया गया। वर्तमान में अलवर जिला जयपुर संभाग में है।

अलवर जिले में साबी तथा रूपारेल नदियां बहती है। अन्य नदियों में काली, गौरी, सोटा

सिलीसेढ़—इस झील के मध्य स्थित टापू पर महाराजा विनयसिंह ने अपनी रानी शिला के लिए 1844 ई. में छ: मंजिला महल बनवाया। वर्तमान में यह एक हैरिटेज होटल है, जिसे सिलीसेढ़ लैक पैलेस के नाम से जाना जाता है। सिलीसेढ़ झील को राजस्थान का नन्दन-कानन भी कहते हैं।

अलवर के अन्य जलाशय—विजय सागर, मान सरोवर, तिजारा बाँध, जयसमंद बाँध।

सरिस्का वन्य जीव अभयारण

  • सरिस्का वन्य जीव अभयारण की स्थापना सन् 1955 में हुई। 1978-79 में इसे ‘बाघ परियोजना’ (राज्य की दूसरी) के अन्तर्गत शामिल किया गया।
  • उपनाम—बाघों की मांद।
  • सरिस्का वन्य जीव अभयारण हरे कबूतर के लिए प्रसिद्ध है।
  • सरिस्का अभयारण्य 492 वर्ग किमी. पर विस्तृत अलवर से 35 किमी. दूर जयपुर – दिल्ली मार्ग पर स्थित है।

अलवर के खनिज →

  • खो-दरीबा ताँबे के लिए प्रसिद्ध है।
  • झबराना, नीमराणा से सर्वाधिक ‘स्लेटी पत्थर’ प्राप्त होते हैं।
  • लौह अयस्क — राजगढ़ एवं पुरवा से
  • संगमरमर —खो-दरीबा, राजगढ़, बादामपुर

भि‍वाड़ी—राज्य का तीसरा कंटेनर डीपो। नोटों की स्याही बनाने का कारखाना। ग्लास फैक्ट्री फ्राँस की सेंट गोबेन कंपनी द्वारा स्थापित। भिवाड़ी, राजस्थान का नवीन मेनचेस्टर कहलाता है। राजस्थान में कार उत्पादन का प्रथम संयन्त्र यहीं स्थापित किया गया था, तथा राजस्थान में सर्वाधिक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भी भि‍वाड़ी में ही स्थित है।

नीमराणा—जापान जोन के नाम से प्रसिद्ध। राज्य का तीसरा निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क।

टपूकड़ा—प्रथम एकीकृत औद्योगिक पार्क तथा होंडा कम्पनी की दूसरी भारतीय इकाई।

थानागाजी—लाल पत्थर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध।

राजस्थान में माचिस उद्योग के सर्वाधिक कारखाने अलवर में हैं।

तिजारा — अलाउद्दीन आलम शाह का मकबरा तथा चन्द्रप्रभू स्वामी का जैन मन्दिर

बहरोड़ — पशु मेला मुर्रा नस्ल की भैंस हेतु प्रसिद्ध तथा जिलाणी माता का मन्दिर

अलवर के चर्चित व्यक्तित्व (Alwar’s famous personality)→

मेजर सौरभसिंह शेखावत—माउण्ट एवरेस्ट को पाँच साल में तीन बार फतह करने वाले जांबाज। शेखावत ने सेना के प्रथम महिला पर्वतारोही (एवरेस्ट) अभियान का नेतृत्व किया था।

राजेन्द्र सिंह—‘जोहड़े वाले बाबा’ एवं वाटर मैन ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध। सिंचाई एवम् जल के संवर्द्धन में उत्कृष्ठ कार्य करने के उपलक्ष में रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं।

ज्ञानी संत मसकीन—सिख धर्म के प्रवचनकार, अलवर के निवासी है, 2005 में इनका निधन हो गया था।

देवकी नन्दन शर्मा—अलवर निवासी शर्मा जी को पशु चित्रण में विशेष प्रसिद्धी प्राप्त थी, इसलिए इन्हें मास्टर ऑफ नेच्यर एण्ड लिविंग ऑबजेक्ट के नाम से जाना जाता है।

अलवर के दर्शनीय स्थल (Tourist places in Alwar) →

अलवर का किला (बाला किला)—हसन खाँ मेवाती द्वारा निर्मित, सलीम (जहाँगीर) ने यहाँ सलीम महल (इसमें अकबर ने जहाँगीर को 3 वर्षों तक नजरबन्द रखा था) एवं सलीम सागर का निर्माण करवाया।

शिमला—इसे कम्पनी बाग भी कहते हैं। इसका निर्माण महाराजा श्योदान सिंह ने 1868 ई. में करवाया।

सागर—इसका निर्माण महाराजा विनय सिंह ने करवाया। इसके दक्षिण में महाराजा बख्तावर सिंह की छतरी है।

मूसी महारानी की छतरी—इस छतरी का निर्माण महाराजा विनय सिंह ने महाराजा बख्तावर सिंह की पासवान मूसी महारानी की स्मृति में 1815 में करवाया। यह छतरी संगमरमर के 80 खम्भों पर टिकी हुई है।

सरिस्का पैलेस—इसका निर्माण महाराजा जयसिंह ने ड्यूक ऑफ एडिनब्रा की शिकार-यात्रा के उपलक्ष में करवाया।

विजय मंदिर महल—1918 में जयसिंह द्वारा निर्मित। इसमें सीताराम जी का प्रसिद्ध मन्दिर है।

फतहगंज गुम्बद—पाँच मंजिला इस इमारत का निर्माण फतहगंज खाँ की स्मृति में करवाया गया।

पाण्डुपोल—पौराणिक मान्यता के अनुसार पाण्डवों के अज्ञातवास के दौरान जब कौरवों ने उन्हें घेर लिया तो भीम ने अपनी गदा के प्रहार से पहाड़ी में से होकर रास्ता बनाया जिसे पाण्डुपोल कहा जाता है। यहाँ पर भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी व पंचमी को हनुमानजी का लक्खी मेला भरता है। यहाँ लेटे हुए हनुमानजी की प्रतिमा है।

नारायणी माता—अलवर जिले की राजगढ़, तहसील के समीप बरबा की डूँगरी की तलहटी में स्थित मंदिर। नारायणी माता नाई समाज की कुलदेवी है। मीणा जाति के लोग इसकी पूजा करते हैं। यहाँ पर वैशाख सुदी एकादशी को विशाल मेला भरता है।

ताल वृक्ष—ऋषि मांडव्य की तपोभूमि।

भृर्तहरी धाम—‘कनफटे नाथ सम्प्रदाय का कुम्भ’ उज्जैन के राजा भृर्तहरी ने अपने जीवन के अंतिम समय में यहाँ पर तपस्या की थी। यहाँ पर भाद्रपद शुक्ल पक्ष सप्तमी व अष्टमी को मेला भरता है। भृर्तहरी का जन्म चाकसू में हुआ, जबकि इनकी गुफा पुष्कर में है। इस मेले में मीणा व अहीर जाति के लोग सर्वाधिक भाग लेते हैं।

सिटी पैलेस—अलवर के महाराजा विनय सिंह ने 1776 में विनय विलास महल का निर्माण करवाया, जिसे सिटी पैलेस के नाम से जाना जाता है।

कांकनवाड़ी का किला—राजगढ़ तहसील में स्थित किला जिसमें औरंगजेब ने अपने भाई दाराशिकोह को कैद करके रखा था।

नीलकण्ठेश्वर धाम—नीलकंठ बडग़ुर्जरों की राजधानी थी, यहाँ पर बड़ गुर्जर राजा अजयपाल ने नीलकंठ महादेव का मन्दिर बनवाया। इस मन्दिर में नृत्य गणेश की मूर्ति है। यहाँ पर काले रंग का नीलम धातु का बना हुआ शिवलिंग है।

तिजारा—जैन मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध।

होप सर्कस—लिनलिथगो की पुत्री होप के आगमन पर इस बुर्ज (प्राचीन नाम-कैलाश बुर्ज) का नाम होप सर्कस रखा गया।

अलवर का संग्रहालय —1837 में महाराजा विनयसिंह ने कुतुबखाना पुस्तकालय की स्थापना की।

अहीरवाटी—बहरोड़, मुण्डावर कोटपूतली आदि क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोली। 

अलवर के अन्य‍ महत्त्वपूर्ण तथ्य (Important General Knowledge (GK) facts of Alwar) –

राजस्थान की पहली प्याज मण्डी अलवर में स्थित है।

भारत का प्रथम जल विश्वविद्यालय अलवर में स्थापित किया गया है।

कम्प्यूटर कम्पनी NITI ने नीमराणा में कम्प्यूटर विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की।

देश का प्रथम राष्ट्रीय उत्पादन एवं निवेश केन्द्र-अलवर।

राजस्थान ग्रामीण बैंक—सीकर एवं शेखावाटी ग्रामीण बैंक व अलवर, भरतपुर, धौलपुर आंचल की ग्रामीण बैंकों का विलय कर नवीन राजस्थान ग्रामीण बैंक की स्थापना की। जिसका मुख्यालय अलवर में है।

खण्डहरों का नगर/भानगढ़ का किला—इसे भूतों का भानगढ़ भी कहते हैं, हाल ही में इस नाम से एक फिल्म भी बनी है।

नवगोल्ड—अलवर जिले के नौगांवा में स्थित कृषि अनुसंधान केन्द्र द्वारा जारी की गई पीली सरसों की नई किस्म का नाम ‘नवगोल्ड’ है।

राजस्थान का प्रथम खेल गाँव ‘जैरोली’ (राजगढ़, अलवर)

राज्य का प्रथम नगर निकाय जो ISO प्रमाण-पत्र से सम्मानित हुआ-अलवर नगर परिषद्।

टाइघर डेन (RTDC की होटल)—अलवर में (सरिस्का) है।

मुर्रा नस्ल की सर्वाधिक भैंसें अलवर में हैं।

अलवर चित्रशैली—इसे प्रतापसिंह ने आरम्भ किया यह शैली वैश्याओं/गणिकाओं के चित्रों के लिए प्रसिद्ध है, साथ ही बसलो चित्रण (बोर्डर पर चित्रण) के लिए भी प्रसिद्ध है। इस शैली का स्वर्ण काल विनय सिंह का काल कहलाता है।

बम रसिया—अलवर का बम नृत्य प्रसिद्ध है। यह नृत्य राजस्थान में सर्वाधिक प्रसिद्ध डीग (भरतपुर) का है।

अलीबख्सी ख्याल—इसके प्रवर्तक भंडावर के ठाकुर रुड़े खाँ के पुत्र अलीबख्स थे।

सफदरगंज की मीनार, अजबगढ़, झिलमिल देह अलवर में स्थित है।

चिप्स पाउडर के लिए राजगढ़ प्रसिद्ध है।

अलवर में मेव जाति का प्रथम आन्दोलन 1921 में शुरु हुआ।

कागजी बर्तन (बहुत पतली परत वाले ) के लिए अलवर प्रसिद्ध है।

भपंग : मेवात प्रदेश का प्रसिद्ध लोक वाद्य है।

नीमूचणा काण्ड—14/05/1925, किसान आन्दोलन के प्रसिद्ध नीमूचणा काण्ड को गाँधीजी ने जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड जैसी वीभत्स घटना बताया।

राजस्थान में सर्वाधिक वृहद औद्योगिक ईकाइयाँ अलवर में हैं।

ईस्ट इंडिया कम्पनी के साथ सर्वप्रथम सहायक संधि अलवर के महाराजा तेजसिंह ने की।

अलवर प्रजामंडल आंदोलन — 1938 ई. में अलवर राज्य प्रजामंडल की स्थापना पं. हरिनारायण शर्मा द्वारा कुंजबिहारी मोदी के सहयोग से की गई। इसके अध्यक्ष श्री लक्ष्मणस्वरूप त्रिपाठी को बनाया गया। जनवरी 1944 ई. में अलवर प्रजामंडल का अधिवेशन भवानी शंकर शर्मा की अध्यक्षता में हुआ।

खुशखेड़ा (अलवर) में पुष्प पार्क बनाया गया है।

नीमराणा दुर्ग पाँच मंजिला बना हुआ है, अत: इसे ‘पंचमहल’ कहते हैं।

भारत का प्रथम अल्पसंख्यक साइबर ग्राम-चन्दौली (अलवर) स्थापना-19 फरवरी, 2014.

अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु फरवरी माह में आयोजित ‘अलवर उत्सव’ को वर्ष 2008 से ‘मत्स्य उत्सव’ के रूप में मनाया जा रहा है।


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